" अभिव्यक्ति "

मैंने खुद को अभी पाया कहाँ
बात जो कहनी थी
दिल की
वो अभी तक लवों पर
लाया कहाँ

है जो ये चिर-परिचित शख्स
खुद के अन्दर
खुद को खुद से
मिलाया कहाँ

है नहीं ये आरजू
कि आसमान में
फैला के पंख मैं उडू
कैद से मुक्त हो जाऊँ
मैं हूँ बस इतना चाहता

सारी दौलत, सारी चाहत
और सब पर हुकूमत
ये नहीं मैं चाहता

साये में अपनों के जी लूँ
कुछ पल बेपरवाह
बस यही हूँ
मैं चाहता

आओ तुमको लेकर चलूँ

आओ तुमको लेकर चलूँ
जहाँ भूख है, लाचारी है
गरीबी है और उन्हें ख़त्म करने के
झूठ मूठ के वादे हैं

जहाँ बंद किसी कमरे में
कर्जा ना चुका पाने पर
मुर्दा किसानों की
पंखे से लटकी लाशें हैं

जहाँ हर पल ही
पाँव फैलाती
ढेर सारी बीमारी हैं

जहाँ बाढ़ है, सूखा है
और उस पर दिया हुआ
राहत पैकेज है

जहाँ जात-पात और धर्म की
झूठी शिक्षा देने वाले लोग हैं

जहाँ मंदिर बनाने के लिए
चन्दा इकठ्ठा किया जाता है
पर एक अदद स्कूल का
नाम तक जुबान पर नहीं आता

जहाँ क़र्ज़ है
और उस पर भी लगता
साहूकारों का ब्याज है

जहाँ पानी की प्यास है
और उस पर दूर से
आती दिखती
मौत की आस है

आओ तुम्हे लेकर चलूँ ...

तब शायद
ये बात दूर तक जाये

वैल्यू बनाम आम आदमी

रिक्शेवाले के शरीर से पसीने छूट रहे थे और वो छतरी ताने रिक्शे पर बैठी थी. जल्दी से रेस्टोरेंट के सामने उतर उसने काला चश्मा उतारा और अपने बालों पर लगा लिया और 10 का नोट निकाल रिक्शेवाले को देने लगी. क्या मेमसाहब इतनी दूर से लाया हूँ और आप ये 10 का नोट दे रही हैं यहाँ तक के तो 25 रुपये होते हैं. चुपचाप रख लो फालतू चिकचिक न किया करो. नहीं मेमसाहब ये तो गलत बात है. ये रहे 15 रुपये लो और चलते बनो. रिक्शेवाला अपना उतरा सा मुंह लेकर अपना पसीना पोंछने लगा ...और मेमसाहब अपने हाथों में काला चश्मा पकड़ रेस्टोरेंट के अन्दर गयी ...अपने बॉय फ्रेंड से ढेर सारी गप्पे मारी और खाना पीना खाया फिर अंत में जब उठने की बारी आयी तो अपने प्रेमी से पूंछने लगी कितने रुपये रख रहे हो इसमें ...क्यों पूरे 110 रुपये. क्या सिर्फ 10 रुपये टिप के दोगे. अगली बार से वो दुआ सलाम भी नहीं करेगा. उसमे २० रुपये एक्स्ट्रा रख दो. अपनी वैल्यू बनाने के लिए ये सब करना पड़ता है . प्रेमी ने अपनी प्रेमिका की बात मानी और पर्स निकल 10 रुपये और रख दिए. मेमसाहब ने काला चश्मा आँखों पर पहन अपना बैग उठाया और बाहर निकल चले ....बाहर फिर से वही इन्सान खडा था पसीना पौंछता हुआ ....